अध्याय 3
प्यार
1.
1.
सन् 1856 में
मई की दोपहर में डॉक्टर बेर्स की पक्रोव्स्कोए-ग्लेबोवा स्थित समर कॉटेज की ओर एक
घोड़ागाड़ी आई. बरामदे में तीन सम्माननीय अतिथि प्रकट हुए: “अंकल कोस्त्या” –
इस्लाविन (गृहस्वामिनी का भाई), लॉर्ड मेंग्देन
और ऑफिसर काउन्ट ल्येव टॉल्स्टॉय. इस आकस्मिक आगमन ने थोड़ी सी भागदौड मचा दी. लंच
तो कब का ख़त्म हो चुका था, नौकरों
को चर्च जाने की छुट्टी दे दी गई थी,
और मेहमान तो थे भूखे.
डॉक्टर बेर्स की अच्छी लड़कियों ने भागदौड़ करके, अपनी
शानदार और महान माँ से डाइनिंग टेबल सजाने की, बची
हुई खाने पीने की चीज़ें मेहमानों को पेश करने की इजाज़त ली. दोनों बड़ी लड़कियाँ –
तेरह साल की लीज़ा और बारह साल की सोन्या – इस काम से जोश में आ गईं, जिसकी उन्हें आदत नहीं थी. वे ख़ुशी-ख़ुशी भाग रही थीं
और इंतज़ाम कर रही थीं. छोटी दस साल की तान्या तो बिल्कुल रोने-रोने को हो गई:
बहनों ने उसे इस दिलचस्प “खेल” से सख़्ती से दूर हटा दिया था.
लंच
के बाद मेज़बान बड़ी ज़िन्दादिली से काउन्ट टॉल्स्टॉय से युद्ध और सेवस्तोपल के बारे
में पूछते रहे. सेवस्तोपल के गीत का भी ज़िक्र हुआ, जिसे टॉल्स्टॉय
द्वारा लिखित बताया जाता था. उसके कारण उसे पीटरबुर्ग में काफ़ी मुसीबतें उठानी पड़ी
थी.
सब
उसे सुनना चाहते थे. इस्लाविन पियानो के पीछे बैठा और मुखडा बजाने लगा. टॉल्स्टॉय
इनकार कर रहा था. तब छोटी तानेच्का स्टेज पर प्रकट हुई, जिसको
संगीत का काफ़ी ज्ञान हो चुका था. उसे आरंभिक पदों के बोल बताए गए, और ल्येव निकोलायेविच ने मुस्कुराते हुए दस साल की
लड़की के साथ गाना शुरू कर दिया. “बचपन” और “किशोरावस्था” के बारे में काफ़ी चर्चा
हुई. दोनों कहानियों के पात्रों का विश्लेषण किया गया. दोनों परिवारों के लिए ये
सब इतना परिचित था...लड़कियाँ बड़े ध्यान से इन रचनाओं के बारे में, जिन्हें वे जानती और पसंद करती थीं, पारिवारिक टिप्पणियाँ सुन रही थीं.
फिर
घूमने निकल पड़े. और “सम्माननीय” मेहमान भी स्कूली बच्चों के समान ‘मेंढक-कूद’ खेलते रहे...
शाम
को मॉस्को में टॉल्स्टॉय ने अपनी डायरी में लिखा : “कोस्तेन्का के साथ ल्युबच्का
बेर्स के यहाँ खाना खाया. बच्चों ने हमारी ख़िदमत की; कितनी
प्यारी, ख़ुशमिजाज़ लड़कियाँ हैं”.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें