शनिवार, 3 मार्च 2018

Tolstoy and His Wife - Introduction - 1


टॉल्स्टॉय और उनकी पत्नी
अफ़साना एक प्यार का


लेखक
तीखन इवानविच पोल्नेर

हिंदी अनुवाद
आ. चारुमति रामदास




प्रस्तावना
(रूसी संस्करण के लिए)

ल्येव टाल्स्टॉय की रचनाएँ उनके व्यक्तिगत जीवन से बेहद जुडी हुई हैं. यह कथन केवल उनकी साहित्यिक कृतियों पर ही लागू नहीं होता. यदि महान लेखक की दार्शनिक, धार्मिक और राजनीतिक रचनाओं का बारीकी से अध्ययन किया जाए, तो भी इसकी पुष्टि होती है.

कहते हैं, कि कलात्मक रचनाओं का आनंद उठाइये और लेखक के व्यक्तित्व को चैन लेने दीजिए. इस पर भी विश्वास नहीं किया जा सकता. अक्सर जीवन से संबंधित अनुसंधान कलात्मक रचनाओं को समझने में सहायक होते हैं. उपदेशक और संत के व्यक्तित्व को “चैन से रहने देना” – एकदम असंभव है. सिर्फ इसलिए, कि बिना कर्म के शब्द प्रभावित नहीं करते. प्रवचन की प्रकृति, उसके सार, विरोधाभास, विचारों के विकास को उपदेशक के व्यक्तिगत जीवन की गहराई से छान-बीन किए बिना संभव नहीं है.       

हर बार, जब मैंने टॉल्स्टॉय के विकास के विभिन्न चरणों का अध्ययन करने की कोशिश की, मेरा यह विश्वास दृढ़ होता गया.

मगर, मुझे अपना काम रोकना पड़ा. टॉल्स्टॉय के पारिवारिक जीवन का अध्ययन न तो उनके जीवन काल में संभव था, न ही उनकी ताज़ी मज़ार पर, ना ही सोफ़्या अन्द्रेयेव्ना के जीवन काल में संभव था. फिर प्रकाशित सामग्री भी अपर्याप्त थी.

मगर अब परिस्थितियाँ बदल गई हैं. पिछले कुछ वर्षों में कई लेख तथा पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, जो टॉल्स्टॉय के पारिवारिक जीवन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से छूते हैं.

अधिकांश लेखक (विशेषकर वी. जी. च्योर्त्कोव और ए, बी. गोल्डेनवैज़र) सोफ्या अन्द्रेयेव्ना के प्रति बेहद असंवेदनशील हैं. उनके आरोप – सीधे-सीधे कहता हूँ – मुझे अन्यायपूर्ण प्रतीत होते हैं.

महान लेखक की जीवन संगिनी ने काफ़ी पहले ही “टॉल्स्टॉय के चेलों” की आलोचनाओं का अंदाज़ लगा लिया था. “ग्राफ़ टॉल्स्टॉय के पत्र – पत्नी के नाम” (मॉस्को 1913) की प्रस्तावना को वह बड़े मार्मिक शब्दों से समाप्त करती हैं: “ मुझे इन पत्रों को प्रकाशित करने की दिशा में और एक बात से प्रेरणा मिली, कि मेरी मृत्यु के बाद, जो निकट ही प्रतीत होती है, मेरे और मेरे पति के बीच के संबंधों को आम तौर पर गलत ढंग से ही दर्शाया जाएगा. तो, सजीव और सत्य स्त्रोतों से उपलब्ध सामग्री के आधार पर ही फैसला करें, न कि कपोल कल्पनाओं, पहेलियों, आलोचनाओं के आधार पर. और लोगों को उस पर तरस खाने दो, जिसके नाज़ुक कंधों पर यौवनावस्था से ही एक असहनीय, महान ज़िम्मेदारी लाद दी गई थी – एक प्रतिभाशाली एवम् महान व्यक्ति की पत्नी होने की ज़िम्मेदारी.”

मगर, फिर भी, सोफ्या अन्द्रेयेव्ना की स्मृति को पुनर्जीवित करना, और टॉल्स्टॉय के जीवन की शोकांतिका के लिए ज़िम्मेदार लोगों को प्रकट करना मेरे कार्य की परिधि में नहीं आता. जानबूझकर मैं कई प्रकाशित विवरणों में नहीं पैठूंगा. पति-पत्नी के बीच के नाज़ुक संबंधों के विषय को मैं उतना ही स्पर्श करूंगा, जितना टॉल्स्टॉय की रचनाओं को, और विशेषकर उनकी शिक्षा से जुडे विचारों के विकास को समझने के लिए आवश्यक है.          

ऐसा करते समय मैं निष्पक्ष रहने की कोशिश करूंगा.

तीखन पोल्नेर,
पैरिस, 1928

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